| 1. | तब तुम अपने आंतरिक केंद्र पर स् थित होओगे।
|
| 2. | और प्रत् येक इंद्रिय आंतरिक केंद्र तक जाती है।
|
| 3. | उस दशा में तुम आंतरिक केंद्र को भूल जाते हो।
|
| 4. | तो तुम अचानक अपने आंतरिक केंद्र पर फेंक दिए जाओगे।
|
| 5. | किसी भी इंद्रिय से तुम् हें आंतरिक केंद्र की अनुभूति हो सकती है।
|
| 6. | सुनते समय कानों के द्वारा मात्र सुनो और अपने आंतरिक केंद्र के प्रति जागे रहो।
|
| 7. | जिसकी आवाज तुम्हारे भीतर के कोलाहल को पार करके तुम्हारे भीतर आंतरिक केंद्र तक पहुंचने लगी।
|
| 8. | स् पर्श करते हुए हाथ के द्वारा मात्र छुओ और आंतरिक केंद्र को स् मरण रखो जो पीछे छिपा है।
|
| 9. | इस दर्शन का पहल चरण, बाहरी चरण अपने शरीर को भीतर से, अपने आंतरिक केंद्र से देखना है।
|
| 10. | जब मैं कहता हूं कि प्रतीक्षा करो तो उससे मेरा मतलब है कि आंतरिक केंद्र के संबंध में विचार करने की चेष् टा मत करो।
|